दिल की बात अपने दिल की बात आज ही हकीम साहब को ईमेल या फोन द्वारा बता दें या स्वयं मिलें। फोन पर ही आपको कीमती परामर्श मिल जाऐगा परमात्मा ने चाहा तो उनके परामर्श पर अमल करके आप एक नया जीवन प्राप्त कर सकेंगे। मायूसी कमजोरी और निराशा का जीवन भी कोई जीवन है। परमात्मा न करे यदि आप को शारीरिक रोग है या सेक्स में कमजोरी के कारण जीवन की खुशियों से वंचित हो तो समझो आपको हाशमी
स्वास्थ्य सम्बंधित पुस्तक
कई नवयुवक मानसिक रोगी होते हैं, वास्तव में उन्हें बीमारी नहीं होती है चालाक और बाजारी हकीम इनकी कमजोरी से लाभ उठाकर इनके सन्देह को बढ़ाते हैं और स्वस्थ पुरुष को रोगी बना देते हैं। ऐसे नवयुवक अपनी अज्ञानता के कारण कभी कभी आत्महत्या कर लेते हैं। क्योंकि वे समझते हैं कि उनका जीवन अब व्यर्थ हो गया है वे अपनी पूर्ण अवस्था पर नहीं आ सकते। मगर यह उनकी भूल है ऐसे रोगियो को हम बिना दवाई दिये खुराक
भूमिका
मैंने अपने अनुभव के द्वारा अधिकतर नवयुवकों को अज्ञानता के कारण गलत मार्ग पर निराशा के अंधकार में भटकते हुए देखा है क्योंकि यौन विषय तथा इसकी अच्छाई बुराई न तो कोई माता-पिता अपनी संतान को बताते हैं और न ही हमारे देश में अभी इस शिक्षा का प्रचार किया जाता है जिस कारण अधिकतर नवयुवक सही दिशा से भटक जाते हैं तथा कई प्रकार की यौन संबंधी स्वप्नदोष, प्रेमह, शीघ्रपतन, नपुंसकता आदि कमजोरियों के शिकार हो जाते हैं। इन
स्त्री का ठंडापन
स्त्री के ठंडापन होने में सारा दोष पुरूष को भी नहीं देना चाहिए क्योंकि कभी कभी स्त्रियों में ठंडापन विवाह से पहले भी होता है जैसे स्त्री के गर्भाशय व स्त्री यौनांगों में कोई त्रुटि होना, अन्दर की स्त्रावी ग्रन्थियों की अव्यवस्था, कमजोरी, रक्तविकार,गर्भाधान का भय, सम्भोग के प्रति गलत दृष्टिकोण या कष्टपूर्ण समागम का असर आदि कई ऐसे बहुत से शारीरिक व मानसिक कारण हो सकते हैं। जिससे ठंडापन आ जाता है। अतः समझदार पुरुष को चाहिए कि वह
मर्दाना कमजोरी का इलाज
केसर कस्तूरी वाला हाशमी हाई पावर कोर्स नया खून पैदा करके न केवल कमजोरी दूर करता है, बल्कि प्रेमह रोग, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन नष्ट कर कमर, गुर्दो व जिस्म में जबर्दस्त ताकत बढ़ाता है, खोई हुई सेहत, ताकत जवानी वापस लाने के लिए दुनियां के कोने कोने में हाशमी हाई पावर कोर्स के पार्सल रोजाना जाते हैं तथा लाखों लोग हाशमी हाई पावर इलाज से नया जीवन व्यतीत कर रहे हैं कमजोरी चाहे किसी भी कारण हो कमजोर से कमजोर इंसान
एक असफल पुरुष का दुख, हस्तमैथुन
कई दिन पहले मैं अपने दवाखाने में हमेशा की तरह अपने रोगी भाइयों को देख रहा था तो उनमें एक रोगी काफी निराश उदास व सहमा हुआ सा बैठा था। जब उसकी बारी आई तो मैंने उससे सबसे पहले यही पूछा कि तुम इतने घबराये हुए क्यों हो तो उस युवक रोगी का सब्र बांध टूट गया तथा उसकी आंखें में आंसू छलछला आए। मैंने उसे पूरी तसल्ली दी तथा मैंने कहा कि अपनी परेशानी बताओ तथा चिन्ता की कोई
सफल जीवन का रहस्य
सुबह सवेरे उठकर प्रतिदिन सैर करें यदि हो सके तो कुछ व्यायाम करें। भोजन हल्का, सन्तुलित व जल्दी ही हज़्ाम होने वाला करें। रात्रि को भोजन सोने से 2-3 घंटें पहले ही कर लें। कब्ज़ न रहने दे। हस्तमैथुन न करे, गन्दे उपन्यास तथा अश्लील साहित्य न पढ़े मन के विचार शुु(अच्छा साहित्य पढ़े जब भी मन में बुरे विचार आयें तो अपने प्रभु को याद करें। सोने से पहले मूत्र त्याग अवश्य कर लें तथा रात में जब भी
जड़ी-बूटियों एवं भस्मों का महत्व
जड़ी-बूटियों एवं भस्मों का महत्व यूं तो इलाज में प्रयोग होने वाली अनगिनत जड़ी-बूटियां, खनिज व भस्में हैं यदि हम सभी का वर्णन करने तो इसके लिए एक मोटी पुस्तक अलग से लिखनी पड़ जाएगी लेकिन हम यहां आपकी जानकारी के लिए कुछ चुनी हुई जड़ी बूटियों एवं भस्मों के नाम लिख रहे हैं जिनके गुण अलग-अलग हैं तथा ये सब रोगी की पूरी हालत, रोग, उम्र व मौसम के अनुसार इलाज में प्रयोग की जाती हैं। हीरक भस्म, मुक्ता
शास्त्रोक्त-यूनानी नुस्खे
सदियों से यूनानी इलाज को हर वर्ग की तरफ से यहाँ तक कि देश विदेश में भी मान्यता मिलती आ रही है क्योंकि आज की आधुनिक ऐलोपैथिक चिकित्सा मनुष्य की जिन तकलीफों का इलाज नहीं कर सकती उन्हीं तकलीफों का इलाज यूनानी चिकित्सा से सुलभ है। यूनानी इलाज से जटिल से जटिल शारीरिक व्याधियों का भी सफल इलाज हो सकता है। हजारों वर्ष पहले ऐलोपैथी इलाज का चलन नहीं था तब मनुष्य के सभी रोगों का इलाज यूनानी पद्धति से
सम्भोग का समय कितना होना चाहिए
यह एक ऐसा प्रश्न है है जो प्रायः रोगी भाई हमसे पूछते रहते हैं कि सम्भोग का समय कितना होना चाहिए? इस सम्बन्ध में अलग अलग चिकित्सकों की अलग अलग राय है, कुछ चिकित्सक यह मानते हैं कि सम्भोग की अवधि 3-4 मिनट होनी चाहिए, जबकि कुछ यह मानते हैं कि योनि में लिंग प्रवेश के बाद 15 मिनट तक सम्भोग किया जाना चाहिए। इस सम्बन्ध में हमारी राय यही है कि सम्भोग की आदर्श अवधि वह होनी चाहिए जिसमें