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क्या आप जानते हैं, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आपके लिए कितनी खरनाक साबित हो सकती है। इससे दिल की बीमारियां होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। व्यस्त जीवन शैली, अनुचित आहार और तनाव कई रोगों और विकारों को जन्म देते हैं। उनमे से एक ऐसी बीमारी है -दकें; हाई बीपी (हाई ब्लड प्रेशर, उच्च रक्तचाप)। उच्च रक्तचाप अब एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बन गई है। उच्च रक्तचाप के समय आपके शरीर में रक्त का प्रवाह बहुत तेज़ हो जाता है। इस स्थिति में आपके हृदय को अधिक काम करना पड़ता है।

हमारा हृदय धमनियों के माध्यम से खून को शरीर में पंप करता है जिससे हमें जीवन मिलता है। हमारी धमनियों में बहने वाले रक्त के लिए एक निश्चित दबाव ज़रूरी है। जब यह दबाव अधिक बढ़ जाता है तब धमनियों पर दबाव पड़ता है और इस स्थिति को उच्च रक्तचाप (हाइ ब्लड प्रेशर) कहा जाता है।

लगातार उच्च रक्तचाप रहना हमारे शरीर को कई तरह की हानि पहुंचा सकता है। यहाँ तक की हार्ट फेल भी हो सकता है। दबाव दो प्रकार का होता है -सिस्टोलिक (Systolic pressure) और डायस्टोलिक (Diastolic pressure)। जब आपका सिसटोलिक ब्लड प्रेशर 140 mmHg या इससे ऊपर और डाइयासटोलिक ब्लड प्रेशर 90 mmHg या इससे ऊपर एक हफ्ते से ज़्यादा रहता है, तब इस स्थति को उच्च रक्तचाप कहते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर ट्रीटमेंट :

एक ऐसी समस्या है जिसके कोई विशेष लक्षण नहीं होते और इसी वजह से इसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है। विशेषज्ञों का कहना है सिर दर्द, नजर कमजोर होने, नींद सही से नहीं आने जैसी समस्याओं की जांच के लिए जब लोग जाते हैं तो पता चलता है कि रक्तचाप बढ़ा हुआ है और नियमित दवाई से ही इसे नियंत्रित रखा जा सकता है। चिकित्सकों के अनुसार उच्च रक्तचाप एक साइलेंट किलर है क्योंकि इसके अपने कोई विशेष लक्षण नहीं होते। कई बार रोगियों को सिर में दर्द या चक्कर आने की शिकायत होती है लेकिन ज्यादातर बार मस्तिष्क, हृदय, किडनी और आंखों तक पर असर होता है। आंकड़ों का हवाला देते हुए वह बताते हैं कि एक आकलन के अनुसार 33.8 प्रतिशत शहरी और 27.6 प्रतिशत ग्रामीण आबादी उच्च रक्तचाप की शिकार है जिसका अर्थ हुआ कि हर तीसरा भारतीय इस समस्या का शिकार है। यह लोगों की मृत्यु की भी बड़ी वजह है।

पिछले कुछ सालों में बदल रही जीवनशैली ने लोगों की हाइपर टेंशन को बढ़ाया है। इनमें शारीरिक व्यायाम की कमी, अधिक नमक और बसा वाला जंक फूड, अल्कोहल और तंबाकू के सेवन और मानसिक तनाव आदि कारण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि समय पर बीपी पर नजर रखकर और उसे नियंत्रित रखकर जटिलताओं को कम किया जा सकता है। डॉ.ने कहा कि रोजाना 25 से 30 मिनट की कसरत, कम नमक का प्रयोग, कम वसा वाले भोजन के इस्तेमाल से मानसिक तनाव से बचा जा सकता है और इसका बीपी रोगियों पर सकारात्मक असर दिखाई देता है। बीपी रोगियों का उपचार और दवाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

उच्च रक्तचाप के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि उच्च रक्तचाप या हाई बीपी की समस्या पिछले कुछ सालों में बढ़ी है और हृदय रोगों, किडनी के निष्क्रिय होने जैसी अनेक समस्याओं के पीछे रक्तचाप अधिक होना प्रमुख वजह है। उन्होंने भी कहा कि कई रोगियों को अधिक रक्तचाप का पता नहीं चलता क्योंकि कोई खास लक्षण नहीं होता। सिर में दर्द, देखने में दिक्कत, नींद सही से नहीं आने जैसी समस्याओं की जांच के लिए जब लोग जाते हैं तो पता चलता है कि रक्तचाप बढ़ा हुआ है।

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