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अनेक रोगों की दवा-सेक्स

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सेक्स अनेक रोगों की दवा भी है। जहां पर विवाहित जीवन में सेक्स एक दूजे के बीच सुख, आनंद, अपनापन लाता है, वहीं एक दूजे के स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य को भी बनाए रखता है। सेक्स से शरीर में अनेक प्रकार के हार्मोन्स उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं। सेक्स में एंडार्फिन हार्मोन की मात्रा बढ जाती है, जिससे त्वचा सुंदर, चिकनी, व चमकदार बनती है। एस्टोजन हार्मोन शरीर के लिए

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कामयाबी का राज

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हाशमी दवाखाना विश्व में अपनी तरह का एक मात्र अत्याधुनिक दवाखाना है जिसमें स्त्री पुरुषो की शारीरिक व मर्दाना कमजोरियों का अपने तजुर्बे के आधार पर हर्बल इलाज किया जाता है। रोगी की स्थिति, प्रकृति, उम्र और मौसम को ध्यान में रखकर पूरी हमदर्दी व गंभीरता के साथ रोगी के लिए जड़ी-बूटियों, रस, द्रव्य एवं भस्मों से युक्त नुस्खों से तैयार इलाज चुना जाता है ताकि रोगी को अपनी समस्याओं व कमजोरियों से हमेशा के लिए जल्दी ही छुटकारा मिल

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स्त्री रोग जनित सन्तानहीनता

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ऐसी अवस्था में पुरुष तो सन्तान पैदा करने योग्य होता है तथा उनमें शुक्राणु भी सामान्य अवस्था में पाये जाते हैं। लेकिन उनकी पत्नी की गर्भधारण क्षमता कम या समाप्त हो जाती है। कभी कभी स्त्री गर्भाशय में सूजन होती है जिससे नलों व पूडे में दर्द बना रहता है, मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। प्रत्येक स्त्री के गर्भाशय के साथ दो डिम्ब नली होती है जिसमें से प्रत्येक मास मासिक धर्म के बाद गर्भ धारण करने वाले डिम्ब

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श्वेत प्रदर (लिकोरिया)

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यह रोग स्त्रियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। सामान्य रूप से योनि का गीला रहना कोई दोष नहीं है लेकिन कुछ स्त्रियों को गर्भाशय की झिल्ली व योनि मार्ग से तरल द्रव्य का स्त्राव इतना अधिक होता है कि पहने हुए अन्दर के कपड़ों पर भी दाग या धब्बे पड़ जाते हैं। यह स्त्राव पानी जैसा पतला भी हो सकता है और अंडे की जर्दी जैसा गाढ़ा भी। स्त्री की जब कामेच्छा बढ़ती है तथा सम्भोग के प्रति

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स्त्री रोग

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मालिक ने स्त्री और पुरुष को एक दूसरे के लिए बनाया है लेकिन दोनों की शरीर संरचना अलग अलग होती है। जो लोग केवल स्त्री संरचना में केवल स्त्री को ही होते हैं उन्हें स्त्री रोग कहते हैं। ये रोग भी काफी कष्टकारी होते हैं। कमर, शरीर में दर्द होता है, शरीर थका थका सा रहता है, कामकाज में मन नहीं लगता तथा स्त्री अपनी आयु से पहले ही स्वास्थ्य व सौन्दर्य खो बैठती है। अपनी उम्र से बड़ी दिखाई

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गर्मी (आतशक)

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यह रोग भी सुजाक की तरह अत्यन्त भयानक रोगों में से एक है। यह भी बाजारू औरतों के संसर्ग से होता है। इस रोग में सम्भोग के कुछ दिन बाद इन्द्री पर एक मसूर के दाने की तरह फुन्सी होती है जो जल्दी ही फैलकर जख्म बन जाता है। आतशक ो प्रकार का होता है। एक का प्रभाव इन्द्री पर होता है तथा दूसरे का प्रभाव रक्त पर होता है। शरीर के किसी भी भाग पर फूट निकलता है। इसका

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शुक्रहीनता

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कई पुरुषों को यौन सम्बन्धी कोई रोग नहीं होता तथा सहवास के समय उनके शिशन में उत्तेजना व तनाव भी सामान्य व्यक्ति जैसा ही होता है। सम्भोग शक्ति भी पूर्ण होती है किन्तु उनके वीर्य में संतान उत्पन्न करने वाले शुक्राणु या तो बिल्कुल ही नहीं होते या बहुत कमजोर एवं मंदगति से चलने वाले होते हैं जिससे पुरुष संतान उत्पन्न करने योग्य नहीं माना जाता सकता। कई बार इस रोग के साथ व्यक्ति की पिछली गलतियों के कारण या

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लिंग में वृद्धि कैसे सम्भव है?

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जब कोई व्यक्ति सैक्स से सम्बन्धित कामुक चिन्तन करता है या कोई अश्लील किताब, या उसके बारे में सोचता है, या स्त्री से सम्भोग की इच्छा रखता है तो उसके मस्तिष्क कुछ विशेष हार्मोन का स्रवण करते हैं जो लिंग में रक्त के प्रवाह को तीव्र कर देता है और काॅर्पस केवेरनोसम (Corpus Cavernosum) नामक ऊतक में रक्त इकट्ठा होकर लिंग का आकार बढ़ा देता है। पूर्ण उत्तेजित अवस्था में लिंग के इन उतकों में रक्त अपनी अधिकतम मात्रा में

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लिंग की मोटाई और लम्बाई में कमी आते जाना

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उत्तेजित अवस्था में शिश्न की लम्बाई ओर मोटाई बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उत्थान केन्द्र कितना सशक्त है। जैसे ही मस्तिष्क में काम जाग्रत होता है वैसे ही सेरीब्रम (cerebrum) उत्थान केन्द्र को लिंग के स्पंजी टिशू में रक्त भेजने का आदेश भेजता है। यदि उत्थान केन्द्र सशक्त है तो वह उसी अनुपात में उतना ही अधिक रक्त लिंग में एकत्रित करने में समर्थ होता है जिसके फलस्वरूप लिंग का आकार उसी अनुपात में बड़ा

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इंद्रिय-आकार के भेद

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अब स्त्री और पुरूष के गुह्या स्थानो के आकार प्रकार पर विचार करेंगे। पुरूष का लिंग लंबाई से और स्त्री की योनि गहराई से नापी जाती है। संभोग का सम्बन्ध मन और काया दोनों से होता है। जहां तक मन के सम्बन्ध का ज्ञान है, इसमें स्त्री और पुरूष का पारस्परिक आकर्षण और परस्पर शरीर मिलने की प्रबल आकांक्षा है। जहां तक काया अर्थात शरीर के सम्बन्ध का प्रश्न है, इसमें पुरूष के शिश्न अर्थात लिंग और स्त्री की योनि

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