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आपका लोगों से दूर भागना और एकांत में रहना, अन्दर ही अन्दर घुटते रहना आभासी खतरे की मानसिक प्रतिक्रिया होती है। लोगों व समाज का यही डर फोबिया का कारण बन जाती है। डर को बीमारी न बनाऐं क्योंकि यही डर आपके लिए सजा बन सकती है। इसीलिए समय रहते इसका इलाज कराएं।

सोशल फोबिया एक प्रकार का रोग है, जिसमें इंसान को किसी खास वस्तु, कार्य एवं परिस्थिति के प्रति भय उत्पन्न हो जाता है। जिस वजह से व्यक्ति लोगों से दूर भागने लगता है और एकांत में रहना पसंद करता है। इसमें अपने डर की सोच भी व्यक्ति को इतना डरा देती है कि उसकी मानसिक व शारीरिक क्षमताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है। जिसके चलते व्यक्ति समाज से डरने लगता है और उसे लोगों से मिलने जुलने और बातें करने में दिक्कतें आने लगती हैं। फोबिया से ग्रस्त रोगी अपनी समस्या को दूसरों को बताने में डरते हैं। उन्हें लगता है कि लोग उसका मजाक उड़ा सकते हैं। इससे रोगी का आत्म-सम्मान भी काफी कम हो जाता है और वह समाज से दूर होता चला जाता है। इस रोग के असर से आपको अधिक दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है। ये भी संभावना होती है कि ताकत होते हुए भी आप प्रतिक्रिया देने में ही सक्षम न हो पाएं। ये डर आपके काम, स्कूल और निजी रिश्तों में बाधा उत्पन्न कर सकता है। ये किसी में कम और किसी में ज्यादा हो सकता है, लेकिन जब डर जरुरत से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक विकार का रूप ले लेता है, इसी को फोबिया कहते हैं।

लोगों और समाज से डरने की इस परेशानी को सोशल फोबिया कहते हैं।
आइए जानते हैं सोशल फोबिया के संकेत-

  1. कॉन्फिडेंस की कमी – सोशल फोबिया के कारण आपका आत्म सम्मान और आत्मविश्वास कम होने लगता है जिस कारण व्यक्ति लोगों के समक्ष कुछ बोलने से डरता है और वह अपनी बात नहीं रख पाता है। क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि अगर वह लोगों के सामने बोलेगा तो लोग उस पर हंसेंगे या मजाक उड़ाएंगे। ऐसे में उसे अपनी बेइज्जती होने का डर लगा रहता है। ऐसी स्थिति में जब व्यक्ति सही होने के बावजूद भी समाज के डर की वजह से गलत बना रहे तो समझिये उसमें आत्मविश्वास की कमी है।
  2. लोगों से नहीं मिलना – सोशल फोबिया का दूसरा लक्षण यह है कि इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति लोगों से मिलने जुलने से कतराता है वह लोगों के संपर्क में रहने से डरता है तथा वह अकेले में अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है। इस तरह से वह अकेलेपन का शिकार हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में वह तनावग्रस्त भी हो सकता है जो चिंता का विषय है।
  3. नर्वस होना – अधिकतर वह लोग जो सोशल फोबिया से ग्रस्त हैं उन्हें लोगों की भीड़ के संपर्क में आते ही लगातार पसीना आने लगता है। वह लोगों की भीड़ देखकर घबरा जाते हैं और लोगों के सामने अपनी बात कहने में और कुछ समझने में उनके हाथ पांव कांपने लग जाते हैं जिस कारण वह पूरी तरह नर्वस हो जाते हैं और इसी नर्वसनेस के कारण व्यक्ति को पसीना आने लगता है। यही वह वजह है जो व्यक्ति लोगों से दूरियां बना लेता है।
  4. अनिंद्रा के शिकार होना – वह लोग जो सोशल फोबिया के शिकार हैं उन्हें नींद न आने की समस्या रहती है। क्योंकि उनके मन-मस्तिष्क में विचारों का गहरा प्रभाव रहता है जिस कारण उन्हें नींद नहीं आ पाती है और नींद की कमी की वजह से दिमाग असंतुलित हो जाता है।
  5. थकान व चिड़चिड़ापन – सोशल फोबिया से पीड़ित व्यक्ति को बहुत जल्दी थकान महसूस होने लगती है। वह अपने आपको अकेला व बेबस समझने लगता है जिस कारण वह अपनी हिम्मत खो देता है। इन्हीं परिस्थितियों में वह लोगों से बात करना पसंद नहीं करता है और चिड़चिड़ा सा रहने लगता है।

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