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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव लोगों के लिए एक आम समस्या बन चुका है। किसी प्रकार का तनाव लेने के कारण ही तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है। हालांकि छोटे स्तर पर लिया गया तनाव बुरा नहीं होता है लेकिन जब यह हद से अधिक हो जाये तो इसे मैनेज कर पाना मुश्किल हो जाता है। जिससे यह आपके जीवन और दिनभर के काम को पूरी तरह प्रभावित करता है। तनाव से ग्रस्त व्यक्ति न तो ठीक से काम कर पाता है और न ही अपने जीवन का कोई भी निर्णय ठीक प्रकार से ले पाता है। यह एक ऐसा मानसिक रोग है, जिसमें व्यक्ति को कोई भी चीज़ अच्छी नहीं लगती है। उसे अपना जीवन नीरस, अकेलापन और दुखों से भरा लगता है। यहां तक कि ऑफिस व गृहस्थी के क्षेत्र में भी आपके संबंध बुरी तरह प्रभावित होते हैं। तनाव की लिमिट वह स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति बर्दाश्त करने की क्षमता को खो देता है। जिसकी वजह से उसके काम करने की क्षमता निचले स्तर पर पहुंच जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार तनाव की लिमिट अलग-अलग कारणों, व्यक्तियों, परिस्थितियों और अत्यधिक दवाब (मानसिक और शारीरिक) के हिसाब से अलग-अलग होती है।

जब कोई व्यक्ति तनाव की स्थिति से बचना चाहता है। तनाव से बचने की चाह ही तनाव का प्रमुख संकेत होता है। परिस्थितियों के कारण कई लोग तो तनाव भरे माहौल में रहना जारी रखते हैं। उन्हें इस बात अनुमान ही नहीं होता है कि छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आना, सिर दर्द रहना, नींद न आने की समस्या का संबंध तनाव की वजह हो सकती है। कहने का तात्पर्य यह है कि इस तरह के संकेत तनाव के हो सकते हैं। इसलिए व्यक्ति को स्वयं ही इसे चैक करना चाहिए। यदि आपका तनाव लिमिट पार करता है तो यह आपके दैनिक कार्यों को प्रभावित कर सकता है।

एक नए शोध में वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि तनाव से होने वाले परिवर्तन पूरे शरीर को प्रभावित करते हैं। क्योंकि जरूरत से ज्यादा लिया गया तनाव आपके सोचने-समझने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। अचानक से शरीर का वजन बढ़ना या घटना, ठीक प्रकार से खाना-पीना न होना, लगातार सिरदर्द का रहना, ठीक प्रकार से नींद न आना, मूड खराब रहना, बार बार अस्वस्थ रहना, किसी भी बात पर ध्यान फोकस न कर पाना और हाइपरएक्टिव और ओवरसेंसिटिव होना इसके सामान्य लक्षण हैं। कुछ स्थिति में यह डिप्रेशन भी हो सकता है। तनाव अक्सर आत्महत्या के विचारों के साथ आता है जिसमें व्यक्ति के मन में स्वयं को या परिवार के सदस्यों को क्षति पहुंचाने के विचार आने लगते हैं। जिसके चलते व्यक्ति अपना आत्मसम्मान तक गंवा देता है। यदि यह लिमिट पार कर जाता है तो इसमें व्यक्ति इसे बर्दाश्त नहीं कर पाता है और ऐसे में दवाइयां भी काम नहीं कर पाती है तो इस समस्या से बचने के लिये प्रोफेशनल्स या थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं।

किये गये शोध के मुताबिक लंबे समय तक लिया गये तनाव से इम्युनिटी और हॉर्मोंस पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। परिणामस्वरूप अधिक घबराहट व बेचैनी महसूस होना और किसी भी काम में ध्यान केन्द्रित न होना आदि समस्या हो जाती हैं। तनाव की स्थिति में व्यक्ति ऑफिस, मित्रों, सगे संबंधियों, परिजनों से फोन पर बात करने से कतराने लगता हैं। बहुत से मामलों में तो कई लोग अपने पार्टनर से भी दूरियां बनाने लगते हैं जिस वजह से वह अपने आपको असहाय समझने लगते हैं।

लंबे समय तक तनाव लेने से इसका आपके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है जिसके चलते दिल और वेसल्स से जुड़ी बीमारियां अपनी चपेट में ले सकती हैं। इसके अतिरिक्त लंबे समय से तनाव से परेशान व्यक्ति को ओएसोफैगस बाउल मूवमेंट, मस्क्युलोस्केलेटल सिस्टम, रेस्पिरेटरी सिस्टम, रिप्रॉडक्टिव सिस्टम और नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। यहां तक कि यह आपकी बॉडी में स्ट्रेस हॉर्मोंस को भी बढ़ा देता है। कॉर्टिकोस्टेरॉयड जैसे स्ट्रेस हॉर्मोंस मस्तिष्क के न्यूट्रॉन्स में केमिकल्स कम हो जो हैं, जिससे आपकी स्मरणशक्ति क्षीण हो जाती है जिससे व्यक्ति किसी भी काम को करने में रूचि नहीं रखता है और व्यक्ति के कार्य करने क्षमता निचले स्तर पर पहुंच जाती है

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