
अब स्त्री और पुरूष के गुह्या स्थानो के आकार प्रकार पर विचार करेंगे। पुरूष का लिंग लंबाई से और स्त्री की योनि गहराई से नापी जाती है।
संभोग का सम्बन्ध मन और काया दोनों से होता है। जहां तक मन के सम्बन्ध का ज्ञान है, इसमें स्त्री और पुरूष का पारस्परिक आकर्षण और परस्पर शरीर मिलने की प्रबल आकांक्षा है। जहां तक काया अर्थात शरीर के सम्बन्ध का प्रश्न है, इसमें पुरूष के शिश्न अर्थात लिंग और स्त्री की योनि के सम्भोग की तीव्र इच्छा है, जिसमें एक या दोनों पक्षों का विशेष विधि से निज जननेन्द्रियों का परस्पर घिसना या रगड़ना, फलस्वरूप पुरूष का वीर्यपात होना और स्त्री को एक विशेष प्रकार के सुख या आनन्द की अनुभूति होना, मैथुन कार्य में काल की अधिकता और इस कार्य की विधि ही मुख्य कारण है।
लिंग के आकार के अनुसार पुरूष के तीन भेद हैं।
1. शश ;खरगोशद्ध, 2. वृष ;बैलद्ध और 3. अश्व ;घोड़ाद्ध । यदि पुरूष का शिश्न छोटा है तो वह ‘शश’, यदि मध्यम हो तो ‘वृष’ और यदि बड़ा हो तो ‘अश्व’ कहलाता है।
इसी प्रकार स्त्री के तीन भेद होते हैं।
1. मृगी ;हरिणीद्ध, 2. बढ़वा ;घोड़ीद्ध और 3. हस्तिनी ;हथिनीद्ध। यदि स्त्री की योनि छोटी यानी कम गहरी हो तो वह ‘मृगी’, यदि मध्यम गहरी हो तो ‘बढ़़वा’ और यदि अधिक गहरी हो तो वह ‘हस्तिनी’ कहलाती है।
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