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एजोस्पर्मिया का मतलब यह नहीं कि आप अपने जैविक बच्चे के पिता नहीं बन सकते। पुरुष बांझपन और उसकी पहचान लंबे समय से यह मान्यता रही है कि संतान न होने की समस्या केवल महिलाओं में होती है, जबकि यह पुरुषों में भी उतनी ही आम है। कई बार पुरुष साथी इस विषय पर चर्चा

हकीम हाशमी

हकीम हाशमी

एजोस्पर्मिया का मतलब यह नहीं कि आप अपने जैविक बच्चे के पिता नहीं बन सकते।

पुरुष बांझपन और उसकी पहचान

लंबे समय से यह मान्यता रही है कि संतान न होने की समस्या केवल महिलाओं में होती है, जबकि यह पुरुषों में भी उतनी ही आम है। कई बार पुरुष साथी इस विषय पर चर्चा करने या जांच करवाने से भी हिचकते हैं। हार्मोन में असंतुलन, शरीर में संरचनात्मक समस्याएं, संक्रमण, जीवनशैली संबंधी कारण आदि पुरुष बांझपन के प्रमुख कारण हो सकते हैं। जब वीर्य में शुक्राणु नहीं पाए जाते, तो इस स्थिति को एजोस्पर्मिया कहा जाता है। यह समस्या सामान्य जनसंख्या में 100 में से 1 और बांझपन से जूझ रहे 10 में से 1 पुरुष में पाई जाती है।

एजोस्पर्मिया के प्रकार और कारण

1. अब्स्ट्रक्टिव एजोस्पर्मिया:
इस स्थिति में पुरुष के अंडकोष में शुक्राणु तो बनते हैं, लेकिन वीर्य के माध्यम से बाहर नहीं आ पाते क्योंकि शुक्राणु मार्ग में कोई रुकावट होती है। यह रुकावट संक्रमण, सूजन, चोट या जननांग शल्य चिकित्सा के कारण हो सकती है।

2. नॉनओब्स्ट्रक्टिव एजोस्पर्मिया:
इसमें अंडकोष में ही शुक्राणु बनने में कठिनाई होती है। इसका कारण कई बार स्पष्ट नहीं होता, लेकिन आनुवंशिक दोष, कीमोथेरेपी, रेडिएशन, किशोरावस्था में संक्रमण या हार्मोन में असंतुलन इसके कारण हो सकते हैं।

जांच प्रक्रिया

इस स्थिति की पुष्टि के लिए सबसे पहले वीर्य की जांच (सीमन एनालिसिस) की जाती है। इसके बाद जननांगों की शारीरिक जांच होती है जिससे किसी प्रकार की असमान्यता या दर्द का आकलन किया जा सके। हार्मोन जैसे FSH, LH और टेस्टोस्टेरोन की जांच भी की जाती है ताकि हार्मोन असंतुलन का पता लगाया जा सके।

उपचार की संभावनाएं

बहुत से पुरुषों को गलत जानकारी दे दी जाती है कि वे जैविक बच्चे के पिता नहीं बन सकते। कई बार तो बिना उचित जांच के ही यह निष्कर्ष निकाल लिया जाता है, जो पूरी तरह गलत है।

1. अब्स्ट्रक्टिव एजोस्पर्मिया के मामले में:
यदि अंडकोष में शुक्राणु बन रहे हैं, तो उन्हें Percutaneous Epididymal Sperm Aspiration (PESA) या Testicular Sperm Aspiration (TESA) तकनीकों से सुई के माध्यम से निकाला जा सकता है। यह प्रक्रिया सरल व दर्दरहित होती है। प्राप्त शुक्राणु IVF-ICSI तकनीक द्वारा पत्नी के अंडाणु में प्रविष्ट किए जाते हैं।

2. नॉनओब्स्ट्रक्टिव एजोस्पर्मिया के मामले में:
पहले इस स्थिति में जैविक संतान की संभावना बहुत कम मानी जाती थी, लेकिन आधुनिक तकनीक Micro Dissection Testicular Sperm Extraction (Micro TESE) की मदद से अब इन मामलों में भी अंडकोष से शुक्राणु निकाले जा सकते हैं। यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जो अनुभवी विशेषज्ञ द्वारा की जाती है और आमतौर पर मरीज उसी दिन घर जा सकता है।

निष्कर्ष

अगर कोई पुरुष एजोस्पर्मिया से पीड़ित है, तो यह मान लेना कि वह पिता नहीं बन सकता, एक गलत धारणा है। सही जांच और उपचार द्वारा वह अपने जैविक बच्चे का पिता बन सकता है।

  • किसी अनुभवी एंड्रोलॉजिस्ट और फर्टिलिटी विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी है।
  • ऐसी क्लिनिक या सेंटर का चयन करें जहां आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षित डॉक्टर और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हों।
  • आत्म-जागरूकता और सही जानकारी से ही आप सही फैसला ले सकते हैं।

महत्वपूर्ण नोट:

हमेशा महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें। वे आपकी मेडिकल हिस्ट्री और वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए कृपया हमें +91-9058577992 पर संपर्क करें। और हमारे अनुभवी डॉक्टरों से मुफ्त परामर्श प्राप्त करें। आपका स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है। धन्यवाद।

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