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डिप्रेशन एक मानसिक स्थिती होती है जिसमें व्यक्ति लंबे समय तक नाखुश रहता है। उसकी जिंदगी से रूचि खत्म होने लगती है और रोज़मर्रा के कामकाज़ से मन हटने लगता है। डिप्रेशन में किसी भी इंसान को अपना एनर्जी लेवल लगातार घटता महसूस होता है। इस तरह की भावनाओं से वर्कप्लेस पर किसी भी इंसान की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है। उसकी रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहती। इस तरह के डिप्रेशन को क्लिनिकल डिप्रेशन भी कहा जाता है।

डिप्रेशन या मनो अवसाद आधुनिक समाज में एक बहुप्रचलित मानसिक रोग की श्रेणी में आता है। आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी के चलते हम कितने ही व्यस्त रहते हों, लेकिन कहीं न कहीं हमारे मन में एक शांति सी बनी रहती है क्योंकि हम दिनभर के कामों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमें अपने लिए समय निकालना भी भारी पड़ जाता है। दिनभर की अस्तव्यस्त जीवनशैली के चलते हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है जो आगे चलकर मानसिक बीमारी का रूप ले सकती है जिसे डिप्रेशन कहा जाता है।

डिप्रेशन कई कारणों से किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता हैं। वैसे अवसाद होने का कोई स्पष्ट कारण नही है, यह कई कारणों से मिलकर डिप्रेशन की समस्या को उत्पन्न करता है। संभवतः घरेलू वाद-विवाद, दिन भर के कामों का बोझ, किसी नज़दीकी की अचानक मुत्यु होना, प्रेम में धोना खाना, दूसरो की तरक्की देखकर उससे आगे निकलने की होड़, अपनी इच्छानुसार कार्य का न होना, किसी गलत संगत की वजह से खराब आदतों की लत लगाना, लंबे समय तक किसी रोग से पीड़ित रहने से दुखी रहना, बदलती स्थिति के अनुसार अपनी सोच को विस्तृत न करना, किसी के द्वारा अपमानित होने पर उस बात को लेकर अन्दर ही अन्दर घुटते रहना डिप्रेशन के मुख्य वजहों में से एक है। इन्हीं में से एक घर की आर्थिक स्थिति जो व्यक्ति को अन्दर तक तोड़ देती है डिप्रेशन का प्रमुख कारण बनती है।

डिप्रेशन आज के समय में आम बीमारियों में से एक माना जाता है। बच्चे, युवा और वृद्ध हर तबके के लोग इस बीमारी के चपेट में हैं। हालांकि लोगों में इसका अलग-अलग कारण हो सकता है पर लक्षण लगभग एक जैसे ही देखे जा सकते हैं।

डिप्रेशन के मुख्य लक्षण जो इस प्रकार :-

  • किसी न किसी वजह से लगातार उदासी से घिरे रहना। बेचैनी रहना। व्यवहार में चिड़चिड़ाहट का होना।
  • छोटी छोटी बात को लेकर क्रोध करना
  • डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति में ऊर्जा तथा उत्साह की कमी का होना।
  • नींद का ठीक तरह से ना आना। अचानक नींद का खुल जाना या अधिक नींद आना।
  • पाचनतंत्र की समस्या का होना, शरीर का भार घटना या बढ़ना
  • मन में आत्महत्या जैसे विचारों का आना।
  • बॉडी में एनर्जी लेवल कम महसूस होना। शरीर में थकान व दर्द का रहना
  • सेक्स के प्रति दिलचस्पी न होना
  • आत्मविश्वास की कमी होना
  • किसी भी काम को करकर तुरंत भूल जाना
  • काम के प्रति सजग न होना
  • नकारात्मक दृष्टिकोण व एकाग्रता की कमी होना आदि इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं।

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें तो आपका सतर्क रहना बहुत जरूरी है क्योंकि इन लक्षणों से आपका जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसीलिये सही समय पर इसका समाधान अवश्य करें या अच्छे चिकित्सक से परामर्श भी ले सकते हैं।

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