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जैसा कि हम सभी जानते है कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन क्रोध है, जिसका जन्म अहंकार से होता है। क्रोध में की गई गलती का अंत पश्चाताप पर होता है। अक्सर बुरे और गलत काम गुस्से मे ही होते है। गुस्से मे हम वो कर जाते है जिसकी हमें उम्मीद भी नहीं होती है। कभी कभी तो गुस्सा बना-बनाया काम भी बिगाडकर रख देता है। जी हां, गुस्सा हर बुरे काम की जड़ है। गुस्सा दिमाग की वो स्थिति है जिसमे वह अपने दिमाग का संतुलन खो बैठता है।

हमारी इच्छाओं के विपरीत कोई बात या कोई घटना घटित होती है तो ऐसे में हमारे अहंकार को ठेस पहुँचती है, ऐसी स्थिति में ही गुस्सा पनपने लगता है। क्रोधित अवस्था में भले ही किसी के चेहरे के हावभाव सामान्य लगे, लेकिन वास्तविकता बिलकुल अलग होती है क्योंकि गुस्सा कभी भी सामान्य नहीं होता है क्योंकि भावनात्मक रूप से चोट खाया हुआ व्यक्ति अन्दर ही अन्दर अपमान की आग में जल रहा होता है और यह आग किसी की मानसिक अवस्था को उत्तेजित करने के लिए पर्याप्त होती है। विवशतापूर्ण व्यक्ति अपना आपा खो बैठते हैं जिसकी वजह से खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो सकती है। क्योंकि ऐसी स्थिति में व्यक्ति का विवेक कमज़ोर पड़ जाता है और हम पूरी तरह गुस्से के नियंत्रण में आ जाते है। अधिकतर लोग बदले की भावना रखते हैं लेकिन वह ये नहीं जानते हैं हैं कि बदले की भावना से उनके ही घाव हरे रहते हैं और अपना ही नुकसान करते हैं।

ये बात बहुत साफ है कि गुस्से से सिर्फ नुक्सान ही होते हैं। गुस्से में लिया गया कोई भी निर्णय नुकसानदायक ही होता हैं। जब तक हम गुस्से के आधीन होते हैं तो ऐसे में अक्सर हम अपना आपा खो बैठते हैं और परिणामस्वरूप अंत में पश्चाताप के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगता है। निश्चित रूप से यह एक दयनीय अवस्था होती है, जहां हम दूसरे को दुःख तो पहुंचाते ही हैं लेकिन इससे बुरी बात ये है कि इसमें अंतिम रूप से हमारा ही नुकसान होता है। क्रोध की अनियंत्रित स्थिति कभी-कभी बेहद भयंकर रूप ले लेती है और यह रूप हमारे जीवन को नष्ट करने के लिए काफी पर्याप्त होता हैं।

आवेश में व्यक्ति का नुकसान ज्यादा होता है। व्यक्ति की आयु क्षीण होती है, वह धीरे-धीरे अनेक बीमारियों का शिकार हो जाता है क्रोध परिवार, समाज व कई अवसरों पर राष्ट्र के लिए भी घातक सिद्ध होता है। क्रोध में बहुत से लोग ऐसा कुछ कर जाते हैं जिससे पति पत्नी के बीच दरार पड़ जाती है। आवेश में पति पत्नी ऐसा कुछ कर डालते हैं जिससे उनके सामने कोई बड़ी आफत आ जाती है और घर बर्बाद हो जाता है। यहां तक कि प्राण पर भी संकट मंडराने लगता है। गुस्सा न सिर्फ रिश्तों व समाज के लिये हानिकारक है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

  • तेज गुस्सा हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को बढ़ाता है
  • नियंत्रित क्रोध हमारे पाचन तंत्र को कमज़ोर कर देता है।
  • ज़रा सी बात को लेकर गुस्सा करने वालों को डाइबिटीज़ होने का खतरा अधिक बना रहता है।
  • अधिक आवेश में आकर तनावग्रस्त रहने वाले लोगों में नींद की न आने की समस्या पैदा हो जाती है।
  • छोटी-छोटी बात पर क्रोध करने वाले व्यक्ति डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।
  • सिरदर्द का मुख्य कारण लम्बे समय तक गुस्सा करना भी होता है।
  • हार्ट अटैक की वजह अधिक उत्तेजित अवस्था में ब्लड प्रेशर का हाई होना है।

उपरोक्त समस्याओं से बचने के लिए गुस्से पर नियंत्रण रखें। यदि क्रोध को भड़काने वाली वजहों से दूर रहें तो क्रोध पर विजय पाई जा सकती है। इसलिए आपको जब भी क्रोध आए तो उसके गंभीर परिणामों पर विचार जरूर कर लें और गुस्सा आने पर समझदारी और शांति से काम लें तभी आप स्थिति को नियंत्रित कर पाएंगे।

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