
सोते समय दिन या रात कोई भी समय हो अपने मन में बुरे व गन्दे विचारों के कारण सोते समय स्वप्न में किसी सुन्दरी स्त्री को देखकर या अपनी कुसंगति का ख्याल आते ही अपने आप वीर्य निकल जाता है इसी को स्वप्नदोष कहते हैं। यदि स्वप्नदोष महीने में दो-तीन बार हो तो कोई बात नहीं किन्तु हर रोज़ या सप्ताह में दो तीन बार हो जाये तो यह रोग भी कम भयंकर नहीं है। यूं तो स्वप्नदोष प्रायः सोते हुए इन्द्री में तनाव आने के बाद ही होता है किन्तु यह रोग बढ़ जाने पर इन्द्री में बिना तनाव भी हो जाता है जो कि गंभीर स्थिति है। इस प्रकार वीर्य का नाश होना शरीर को खोखला बना देता है जिसका असर दिमाग पर पड़ता है। याद्दाश्त कमजोर हो जाती है वीर्य पतला हो जाता है। अन्त में नपुंसकता की नौबत आ जाती है लेकिन हमारे पास ऐसे नुस्खे हैं जिनके सेवन से उपरोक्त सभी विकार नष्ट होकर शरीर को शक्ति सम्पन्न बनाते हैं।
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