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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और काम का स्ट्रेस की वजह से भी ज्यादातर लोग तनाव से घिरे रहते हैं। जरूरी नहीं कि तनाव केवल बड़ों को ही हो। आज के इस आधुनिक युग में बच्चों में भी तनाव का होना देखा जा सकता है। पहले जमाने की बात अलग थी जब बच्चे हंसते खेलते रहते थे, घूमते-फिरते, खाते-पीते रहते थे और बेफिक्र होकर सो जाया करते हैं। लेकिन आज का बच्चा जीवन में आगे बढ़ने की होड़ में शामिल हो गया है। प्रतियोगी परीक्षाओं में आगे आना व अपने क्लास में फर्स्ट आना आदि भी बच्चों में टेंशन का मुख्य वजह हैं।

वैसे तो बच्चों में तनाव होने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। यह तनाव बच्चे में कई तरह की समस्याऐं पैदा करता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि बच्चे के तनाव को दूर करें। इसके लिए सबसे पहले अपने बच्चे की परवरिश का विशेष ख्याल रखें। बच्चो में होने वाले तनाव के कारण को जाने, तभी आप उसका हल निकाल सकते हैं। आइये जानते हैं बच्चों में तनाव के बारे में विस्तार से।

बच्चों में तनावः जाने डिप्रेशन के कारण, लक्षण और उपाय

बच्चों में तनाव :

यदि आपको लग रहा है कि आपका बच्चा तनाव का शिकार है तो ऐसे में उसे नज़रअंदाज़ न करें। क्योंकि इससे आपके बच्चे के दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है। यहां तक कि अधिक तनाव की स्थिति में बच्चा डिप्रेशन में भी जा सकता है साथ ही उनमें नकारात्मकता की भावनाऐं भी आने लगती हैं जिसके चलते वह आत्महत्या तक भी करने का प्रयास करने लगता है। बचपन से ही तनाव में रहने की वजह से बच्चे के दिमाग में बाधा आती है। वह किसी भी तरह का निर्णय लेने में भी असमर्थ होते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को खुश रखने का प्रयास करते रहें ताकि उनका सही विकास हो सके।

डिप्रेशन का कारण :

बच्चों में तनाव के जिम्मेदार कभी कभी उनके माता-पिता भी होते हैं। माता-पिता अपने सपने को साकार करने के लिए बच्चों पर प्रेशर डालते रहते हैं कि कब उनका सपना पूरा हो। पेरेंट्स का यही प्रेशर बच्चों में तनाव का कारण बन जाता है।

आज के इस दौर में कम्पटीशन तनाव का कारण बन सकता है। क्योंकि एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की हौड़ के चक्कर में भी बच्चा तनाव की स्थिति में आ जाता है।

  • स्कूल में अच्छे नंबर लाने के चक्कर में भी तनाव की समस्या बन जाती है।
  • स्कूल में फेल होने की वजह से भी बच्चे डिप्रेशन में आ जाते हैं जिस वजह से वह कभी कभी आत्महत्या करने की कोशिश भी करते हैं।
  • माता-पिता अधिक व्यस्त होने की वजह से अपने बच्चे को समय नहीं दे पाते हैं। इसी वजह से बच्चा अपने को अकेला महसूस करने लगता है और डिप्रेशन में चला जाता है।
  • आज कल बच्चे अपने घरों में लेपटॉप, मोबाइल फोन में लगे रहना, स्कूल का होमवर्क आदि के चक्कर में खेल कूद जैसी एक्टिविटी नहीं कर पाते हैं जिस वजह से बच्चों में तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है।

बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण :

  • एकांत पसंद करना
  • गुमसुम और उदास रहना या दुखी रहना
  • व्यवहार में परिवर्तन व चिड़चिड़ापन होना
  • छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आना
  • नकारात्मक सोच का होना
  • बेचैनी महसूस करना व किसी भी कार्य में मन न लगना

कैसे पाएं तनाव से छुटकारा :

बच्चों को डिप्रेशन से बाहर लाने के लिए माता-पिता को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। क्योंकि डिप्रेशन की वजह से बच्चे को विभिन्न प्रकार के रोगों के होने का खतरा बढ़ सकता है। जिस वजह से बच्चे का दिमाग सही प्रकार से काम नहीं कर पायेगा।

बच्चों को समझे : अपने बच्चे की हर छोटी बड़ी बातों को ध्यान से सुने व समझने का प्रयास करें। इससे आपको बच्चे के भीतर चल रहे विचारों को जानने में आसानी होगी।

कुछ पल बच्चे के साथ बितायें : दुनियां में ऐसे बहुत से पेरेंट्स हैं जो अपने बच्चों के लिए थोड़ा सा भी समय नहीं निकाल पाते हैं। ऐसे में बच्चे अपने को अकेला महसूस करने लगते हैं और डिप्रेशन में चले जाते हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि वह अपने बच्चे के साथ कुछ पल बितायें ताकि वह आपसे अपने दिल की बात कह सके।

दोस्ती वाला व्यवहार रखेंः
माता-पिता को अपने बच्चों के साथ दोस्ती जैसा माहौल रखना चाहिए। जब आप अपने बच्चे से दोस्त बनकर बात करेंगे तभी तो वह अपने दिल की बात आप से शेयर करेगा। ऐसे में आप अपने बच्चे को सही और गलत का फर्क बता सकते हैं।

अधिक दबाव न डालेंः बच्चे पर पढ़ाई या फिर किसी भी अन्य चीजों का अधिक दबाव नहीं डालना चाहिए। किसी भी बात को लेकर उन्हें डांटने की बजाय उन्हें समझाना चाहिए। क्योंकि ज्यादा दबाव और डांटने से भी बच्चे में तनाव पैदा होता है। इसलिए ऐसा करने से माता-पिता को बचना चाहिए।
अपने फैसले बच्चों पर न लादेः माता-पिता को अपने निर्णय अपने बच्चों पर नहीं लादने चाहिए बल्कि उन्हें हर स्थिति में खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए। ताकि उनकी सोच को सकारात्मक बनाया जा सके और उनके विकास में सहायक सिद्ध हो।

झूठा वादा न करेः बहुत से माता पिता ऐसे हैं जो अपने बच्चों को टालने के लिए उनसे झूठे वादे करते हैं। लेकिन वे ये नहीं जानते कि बच्चों से झूठा वादा करना बच्चों में नकारात्मकता की भावना पैदा करना है। इसलिए अपने बच्चों से कभी भी झूठे वादे नहीं करने चाहिए।

अच्छा माहौल बनायेः कहते हैं अच्छे माहौल का बच्चे पर काफी असर पड़ता है। क्योंकि घर का जैसा माहौल होता है बच्चा भी वैसा ही सीखता है। इसलिए अपने घर का अच्छा महौल बनाये रखें ताकि आपके बच्चे को अच्छा से अच्छा सीखने को मिल सके।

उपरोक्त उपायों को पढ़कर अब आप तो जान ही गये होंगे कि बच्चे को डिप्रेशन से कैसे बाहर निकाला जाये या कम किया जाये। इसलिए पेरेंट्स को अपने बच्चे की छोटी छोटी चीजों पर ध्यान देना चाहिए जिससे उन्हें यह जानने में आसानी होगी कि कहीं बच्चा डिप्रेशन का शिकार तो नहीं हो रहा है।

नोट- डिप्रेशन की आदतें अधिक गंभीर होने पर माता-पिता को बिना देरी किये किसी चिकित्सक की मदद लेनी चाहिए। ताकि आपका बच्चा कोई गलत कदम न उठा सके।

बच्चे आने वाले कल का भविष्य होते हैं इसलिए उनकी शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की स्वास्थ्य देखभाल अच्छी से होनी चाहिए ताकि उन्हें आगे चलकर किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। अच्छी देखभाल के साथ साथ बच्चों के अच्छे विकास के लिए उन्हें खेलने के लिए भी उत्साहित करें।

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